आइये सबसे पहले जानते हैं की Book Value क्या है? किसी भी कंपनी के पास Available सारी चीजों को हम दो भागों में बांट सकते हैं, Assets and Liabilities. Assets मे वह सारी चीजें आती है जो कंपनी ऑन करती है पर कंपनी चाहे तो उसे कैस (Cash) मे बदल सकती है। वही Liabilities में सारी चीजें आती है जो कंपनी उधार ले रखा है और जिसे फ्यूचर में लौटाना पड़ेगा।
जब हम कंपनी के टोटल Assets में से कंपनी के टोटल Liabilities को माइनस करते हैं तो हमें कंपनी के बचे हुए Assets की एक वैल्यू मिलती है जिस पर पूरा हक कंपनी का होता है और हम इन्हीं बचे हुए हैं Assets की वैल्यू को कंपनी का बुक वैल्यू कहते हैं। ( Book Value : Total Assets – Total Liabilities ) Book value को हम कंपनी का Net worth, Owners Equity, Shareholders Equity, और Stockholders Equity भी कहते है।
- Book Value vs. Market Value: What’s the Difference?
- Book Value: Definition, Meaning, Formula, and Examples
Book Value कैलकुलेट कैसे किया जाता है?
बुक वाली कैलकुलेट करने के लिए एक उदाहरण देते हैं एक आदमी है, Mr XYZ तो उनकी ऐसैट्स है ₹80 लाख की है, और उनकी लायबिलिटी ₹20 लाख की है। Book Value = 80 Lakh – 20 Lakh = 60 Lakh तो Mr XYZ की Book Value 60 Lakh की है।
समझने का एक आसान तरीका है कि अगर हम कंपनी के टोटल ऐसेट को सेल कर दे, और उससे जो पैसे आए उन पैसों से हम कंपनी के Total Liabilities को Repay कर दे तो इसके बाद हमारे पास जो भी पैसा बचा रहेगा उसे ही हम कंपनी का Book Value कहते है।
Important Points to Keep in Mind While Using Book Value
Book Value हमें कंपनी के Assets और Liabilities की वैल्यू company के Balance Sheet के हिसाब से बताता है। यानि जब तक कंपनी की Balance Sheet मे Assets और Liabilities की वैल्यू सही लिखी है तब तक हम बुक वैल्यू को सही मान सकते हैं।
अक्सर कई वजह से Assets और Liabilities की वैल्यू बैलेंस शीट के हिसाब से और रियल में काफी अलग हो सकती है ऐसे में बैलेंस शीट का अच्छे से Analysis करना चाहिए। और अपनी समझ से Assets और Liabilities के सही वैल्यू के साथ Book Value को खुद से Calculate करना चाहिए।
दोस्तों Investing एक Intellectual और Emotional Game है इस खेल मे जितने के लिए हमें ना सिर्फ अपने रिसर्च और एनालिसिस को दूसरों से अच्छा करना होगा बल्कि साथ में अपनी Emotions को भी कंट्रोल करना होगा ताकि जब Market Crash हो और अच्छी companies हमें सस्ते पर मिले तब हम उस वक़्त इनके shares बिना डर के Buy कर सके।
निष्कर्ष :
दोस्तों हमें उम्मीद है आप ऐसा ही करेंगे और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से अपना फायदा करेंगे। फिर भी आपके मन मे कोई भी सवाल हो तो आप Comment Box मे बेहिचक पूछ सकते है।
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