ज़ब भी कोई शेयर खरीदता है, तो वह शेयर को नंबर में खरीदता है। मतलब की अगर किसी ने Tata Motors के शेयर ख़रीदा तो वह बोलेगा की उसने Tata Motors के 25 शेयर खरीदा। वहीँ अगर किसी ने Apollo Hospital के 15 शेयर ख़रीदा तो वह बोलेगा की उसने Apollo Hospital के 15 शेयर खरीदा। अब मान लेते हैँ की Apollo Hospital के एक शेयर की क़ीमत 5,000₹ है तो उसे 15 शेयर खरीदने के लिए 15 x 5,000₹ = 75,000₹ देने पड़ेंगे।
आपको बता दे की MRF एक भारतीय कंपनी है जिसकी एक स्टॉक की क़ीमत लगभग 01 लाख रूपये है। ऐसे में बहुत से लोग ऐसे है जो 01 लाख रूपये लगा नहीं सकते है। क्यूंकि उन लोगो के पास उतनी पूंजी नहीं होती है। ऐसे में अगर किसी के पास अगर मान लेते है की 10,000₹ है तो क्या wah MRF का शेयर Fractional में खरीद सकता है। यानी की 10,000₹ के हिसाब से उसे कितना शेयर मिलेगा, उस हिसाब से वह शेयर खरीद सके।
इसी टर्म को Fractional Share कहा जाता है। यानी की आप कंपनी का पुरे – पुरे एक शेयर ना खरीद कर एक शेयर का कुछ हिस्सा खरीदते है। यानी की आपके पास जितना फण्ड है, उस फण्ड के हिसाब से आपको उतनी संख्या में शेयर दे दिए जाते है। यानी की अगर आपके पास 20,000₹ है तो आप पुरे – पुरे 20,000₹ के हिसाब से शेयर को खरीद सकते है। अगर आपके पास 500₹ भी है तो भी आप किसी भी कंपनी के शेयर के 500₹ के हिसाब से शेयर खरीद सकते है। हो सके आपको 1.3 यूनिट शेयर मिले, हो सके आपको 0.04 यूनिट शेयर मिले।
यह निर्भर कर्ता है की आप कितना पैसा लगाते है। यह सिस्टम आपको क्रिप्टो मार्केट के अंदर भी देखने को मिलता है जहाँ पर आप पुरे एक बिटकॉइन ना खरीद कर, एक बिटकॉइन के कुछ हिस्से को खरीदते है। अब बात करते है की क्या भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के अंदर हम लोग Fractional Share खरीद सकते है, तो जवाब है नहीं। Fractional Share आप अमेरिकन स्टॉक, कनाडा स्टॉक, जापान स्टॉक और क्रिप्टो मार्केट में ही खरीद सकते है। यानी की आप अमेरिकन कंपनी में किसी भी शेयर में जितना पैसा है आप लगा सकते है। और बदले में आपको Fractional के हिसाब से शेयर मिल जायँगे।